सोमवार, 21 नवंबर 2016

इंदौर पटना रेल एक्सिडेंट और आपदा प्रबंधन

                              इंदौर से पटना के लिए निकली इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस (19321) रविवार तड़के 3.10 बजे कानपुर देहात के पुखरायां के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ट्रेन की 14 बोगियां बेपटरी होने से 138 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 लोग घायल हैं। सुबह की गहरी नींद में सोये यात्रियों को पता भी नही चला होगा कि उनके साथ क्या हो गया है। जब तक होश आया उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी। 
                           अखबारो की रिपोर्टस् यात्रियों के बयानो से पता चलता है कि ट्रेन के पहिये अजीब सी आवाज़ कर रहे थे। झांसी में यात्रियों द्वारा शिकायत की गयी ट्रेन को दो बार रोक कर चेक भी किया गया। यात्रियो ने बताया की एस-2 एस-1 डब्बों में से ज्यादा आवाज आ रही थी रेल के अधिकारियों को बार बार बताया गया। ड्राइवर जलत शर्मा का कहना है कि उसने झांसी में ही रिपोर्ट दे दी थी लेकिन उसे कहा गया कि ट्रेन कानपुर तक ले जाओ। सबसे पहली बात तो यह है कि अगर ड्राइवर ट्रेन को चलाना सेफ न समझे तो वह उसे चलाने से साफ मना कर सकता था। और यदि उसने आदेश मान भी लिया था तो उसे ट्रेन की खराब स्थिति देखते हुए उसे फुल स्पीड में चलाने की कोई जरुरत नही थी। अगर ट्रेन 40-50 कि.मी. की रफ्तार से चल रही होती तो दुर्धटना में 150 लोगो की मौत नही होती। लेकिन  आश्चर्य की बात है इस सब के बाद भी ड्राइवर ट्रेन को फुल स्पीड पर चलाता रहा जिससे यह दुर्धटना घटित हुई। इस प्रकरण में ट्रेन में ड्यूटी दे रहे सभी रेल अधिकारियों कर्मचारियों गार्ड की लापरवाही दर्शित होती है। 

                          हमेशा हादसे होते है लेकिन सरकार हादसो से सबक नही लेती। खासतौर पर रेल दुर्धटनाओं के बारे में कहा जा सकता है कि  ज तक रेल यात्रा केसे सुरक्षित हो यात्रियों को सामान्य सुविधाएें केसे मिले इस पर कोई काम नही किया है। आजादी के बाद से ही जितने नेताओ के पास रेल मंत्रालय रहा उन्होने अपने संसदीय क्षेत्र में एक दो नई रेल चलाने एवं एक आध रेल्वे से सबंधित कोई फेक्ट्री लगाने के सिवाय कोई काम नही किया। रेल में एक समय में 1500-1600 यात्री होते है दुर्घटना होने पर बहुत अधिक जन हानि होती है कुछ लोग हमेशा के लिए अपंग हो जाते है। राज्य सरकार / केन्द्र सरकार मुवाअजा दे कर पल्ला झाड़ लेती है। अभी यू पी में चुनाव होने वाले है इसलिए राज्य व केन्द्र सरकार दोनो ही जरा एक्टिव है वरना दुर्घटनाग्रस्त यात्रियों की कोई सुध लेने वाला नही होता।  यह सच है  प्राकृतिक आपदा / हादसे टाले नही जा सकते है लेकिन अगर प्रशासन उसके लिए तैयार है तो आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है। 

                              राष्ट्रीय स्तर पर जून 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश का पहला नेशनल डिज़ास्टर मेनेजमेंट प्लान जारी किया है। देश में नेशनल डिज़ास्टर मेनेजमेंट अथारिटी देहली, नेशनल सिविल डिफेंस स्कूल नागपूर, डिज़ास्टर मेनेजमेंट इन्सटीट्यूट भोपाल जैसी संस्थाए लम्बे समय से कार्यरत है लेकिन  राज्य स्तर पर  तक कोई विशेष कार्यवाही कभी नही की गयी  है। समय समय पर केन्द्र  एवं राज्य सरकारो द्वारा जारी आपदा प्रबंधन सबंधी निर्देशो का जिला स्तर व अनुविभागिय स्तर पर कोई पालन नही किया जाता है इसिलिए इस प्रकार की दुर्धटनाओं में अधिक जन धन हानि होती है। आम आदमी को लगता है कि प्रशासन द्वारा युद्ध स्तर पर हादसे से निपटने के लिए प्रयास किये जा रहे है लेकिन ऐसा होता नही है। विदेशो  में इस प्रकार की आपदा से निपटने के लिए स्थानिय स्तर पर हमेशा कम से कम दो प्लान, प्लान ए व प्लान बी तैयार होता है एवं वे लोग निर्धारित प्लान के हिसाब से कार्य करते है। इसलिए वहाँ जन हानि बहुत कम होती है।
                           आपदा प्रबंधन का कोई भी प्लान तब तक सफल नही है जब तक स्थानिय स्तर - जिला स्तर व तहसील स्तर पर उसकी तैयारी न हो। लगभग 5-6 वर्ष पूर्व में जारी दिशा निर्देशानुसार प्रत्येक जिला स्तर पर एक आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ होना चाहिये जिसका इन्जार्ज एक एस डी एम स्तर का अधिकारी होना चाहिये। इसके लिए एक अलग भवन होना चाहिये एवं पर्याप्त स्टॉफ होना चाहिये। लेकिन मेरी जानकारी में देश के एक भी जिले में इसे आज तक क्रियान्वयित नही किया गया है। जिला स्तर पर कार्यशील आपदा प्रबंधन केन्द्र में कम से कम निम्नानुसार प्रारंभिक जानकारी हमेशा होना चाहिये।
  • जिले के सभी सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालो  की सूचि मय बेड क्षमता, स्पेशलाइजेशन, अार्थोपिडिक, जनरल सर्जन आदि की जानकारी सभी चिकित्सालायों के संचालको के टेलिफोन, मोबाइल नंबर सहित।
  • जिले के सभी मेडिकल स्टोर्स की जानकारी 
  • जिले में उपलब्ध सभी एम्बुलेंस संचालको की जानकारी, सूची एवं उनके ड्राइवरो के नाम व मोबाइल नंबर।
  • जिले की सभी पशु चिकित्सा संस्थाओ की जानकारी सक्षम अधिकारियों के टेलिफोन, मोबाइल नंबर सहित।
  • जिले के सभी लॉ एन्ड ऑर्डर एजेन्सी की सूचि अधिकारियों के टेलिफोन एवं मोबाइल नंबर सहित
  • जिले की सिविक एडमिनिस्ट्रेशन जैसे नगर पालिका नगर निगम आदि के अधिकारियों की सूची, शहर का सिविक प्लान, रोड मेप, कॉलानी की बसाहट, सीवेज प्लान, स्लम एरिया, रेल्वे लाइन के पास की बस्तियां, शहर की घनी बस्तियां की जानकारी आदि।
  • जिले में यदि कोई पेरा मिलिटरी एजेन्सी जैसे सी आर पी एफ आदि के सक्षम अधिकारियों की सूचि।
  • जिले के सभी एन जी ओ एवं सामाजिक संस्थाए जो आपदा के समय मेन पॉवर से मदद कर सके, खाने के पेकेट सप्लाय कर सके, मेडिकल हेल्प कर सके।
  • जिले के सभी गेस वेल्डर्स/कटर्स की सूचि क्योंकी सबसे ज्यादा जरुरत कार, बस या ट्रेन में फंसे घायल लोगो को निकालने में इन्ही की होती है।
  • जिले के सभी क्रेन आपरेटर्स एवं जेसीबी संचालको की सूचि मय टेलिफोन, मोबाइल नंबर सहित।
  • जिले की सभी टेक्सी, बस एवं ट्रक ऑपरेटर्स की सूचि टेलिफोन, मोबाइल नंबर सहित।
  • जिले में उपलब्ध सभी नावों, स्पीड बोट, लाइफ बोट, स्टीमर की जानकारी।
  • समय समय पर जिला प्रशासन के कर्मचारियों एवं अधिकारियों हेतु आपदा प्रबंधन सबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
                               यदि जिला आपदा प्रकोष्ठ पर्याप्त रुप से संगठित है वह त्वरित रुप से एम्बुलेंस डिप्लॉय कर  घायलो को अस्पताल भेज सकता है। उसे यह भी पता कि किस अस्पताल में किस प्रकार के घायलो को भेजना है। अस्पताल की बेड क्षमता मालूम होने से एक ही जगह ज्यादा घायल नही पहुँचेगे व अव्यवस्था की स्थिति निर्मित नही होगी। जो कि हम हमेशा देखते है कि जमीन पर घायल पड़े होते उनको देखने वाले भी कोई नही होते क्योंकि एक ही अस्पताल में सारे घायल भेज दिये जाते है। एक्सपर्ट गेस कटर्स व वेल्डर्स की अधिक संख्या में जरुरत होती है क्योंकि वे ही लोग घायलो को निकाल सकते है। एन जी ओ ऐसे वक्त बहुत मददगार होते है वे पीड़ितो को खाने के पेकेट वितरित कर सकते है, जिन लोगो को ज्यादा चोंट नही है ऐसे लोगो को अपने गंत्वय की ओर जाने के लिए गाइड कर सकते है। जाहिर है क्रेन एवं जेसीबी की जरुरत भी मलवा हटाने डब्बो को एक दूसरे के उपर से हटाने के लिए होती है। समय समय पर जिला प्रशासन के कर्मचारियों एवं अधिकारियों हेतु आपदा प्रबंधन सबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला स्तर या राज्य स्तर पर होते रहने से वे हमेशा आपदा से निपटने के लिए तैयार रहेगे एवं बेहतर तरीके से आपदा से निपट सकेगें।

Courtesy: Alfilo Safety Solutions Pvt Ltd. 


                     


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