शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

ठंडी दाल में उबाल


          तेज बहादुर यादव जवान 29 बटालियन बीएसएफ  ने अचानक एक  सर्द सुबह ठंडी दाल में उबाल ला दिया। तेज बहादुर यादव की आक्रोश दुःख से लाल व डबडबाई आंखो से अपने को मिलने वाले खाने का सोशल साइट पर अपने विडियो के साथ जो उसने एक के बाद एक तीन विडियो अपलोड किये है वो देखते ही देखते वाइरल हो गये। यहाँ तक की गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह को बीएसएफ से रिपोर्ट सात दिन में अंतरिम रिपोर्ट तलब करनी पड़ी।



          पेरामिलिटरी एवं मिलिटरी ऐसी जगह है जहाँ अनुशासन का महत्व है कोई भी फौज बगैर अनुशासन के अपने मिशन में कामयाब नही हो सकती और इसलिए इन जगहो पर सख्त अनुशासना रखा जाता है। आमतौर पर जब हम घर से बाहर होते है तो खासतौर से मेस, होस्टल में मिलने वाला खाना एक समान स्तर का होने से दो चार दिन में ही बेस्वाद लगने लगता है। लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि लम्बे समय से फौज के सख्त अनुशासन का फायदा दूर दराज की पोस्ट के सीओ ( कमांडिग ऑफिसर) अफसरो द्वारा उठाया जा रहा है। दूरस्थ पोस्टो पर निगरानी की कोई कामयाब व्यवस्था नही होती वहाँ पर सिनियर ऑफिसरो का भी दौरा भी कम से कम होता है। हालात वैसे ही नाजुक और सख्त होते है वहाँ जवान के खाने पर किसका ध्यान जा सकता है। वैसे भी खाने की आलोचना करना हमारे भारतीय संस्कारो  में अच्छी बात नही समझी जाती और इसलिए ज्यादातर खाने की बात मुखर रुप से करने से जवान बचते है। लेकिन बीएसएफ में ही खाने को लेकर यह पहली शिकायत नही है। इसके पहले एक जवान विनोद त्यागी ने गृह मंत्रालय से लेकर करीब 40 जगह शिकायत की है। एक  रिटायर्ड बीएसएफ श्री मुरारी लाल ने न सिर्फ आई जी बीएसएफ बल्कि होम मिनिस्ट्री को भी कई शिकायते की कई आर टी आई भी डाली लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नही हुई।


जिस संजीदगी से आई जी श्री डी के उपाध्याय ने इसे संवेदनशील मामला बताया वैसा असल में कुछ नही है बल्कि हमेशा बीएसएफ के उच्चअधिकारी पोस्ट के कमांडिग ऑफिसर को बचाने में लगी रही है। यहाँ तक कि होम मिनिस्ट्री को लगभग सभी जानकारी है और काफी लम्बे समय से जवानो द्वारा विभिन्न स्तरो पर शिकायते की जाती रही है लेकिन कभी किसी भी स्तर पर कार्यवाही कभी नही हुई। इसिलिए तेज बहादुर यादव ने तरीका अपनाया जो कि लगभग 40 लाख बार देखा गया।



          पिछले 70 सालो में भारत में भ्रष्टाचार का घुन जीवन के हर क्षेत्र में चाहे जन्म मृत्यु का प्रमाण पत्र चाहिये, नर्सरी स्कूल में बच्चे का एडमिशन हो या फिर मेडिकल कॉलेज में काउन्सिलिंग हो या जवानो के लिए वर्दी खरीद हो या जूते या फिर हम तोप खरीद रहे हो या फाइटर जेट या हेलिकॉप्टर सबमें लग चुका है। क्या हम आज अखबार में नही पढ़ रहे या मिडिया चेनल्स पर नही देख रहे है। तो फिर क्या जवानो के खाने पीने के सामान में भ्रष्टाचार नही हो सकता?  कुछ बड़े लोग जैसे नाना पाटेकर कह रहे है कि हमें इस बात को बढ़ा चढ़ा कर नही करना चाहिये क्योंकि इससे मिलिटरी का मनोबल कमजोर पड़ेगा। लेकिन मैं समझता हूँ यह अच्छा समय है इस समस्या को जड़ मूल से खत्म करने का और क्योंकि अभी नेतृत्व ताकतवर है डंडा चलाना जानता है। यह समय इसको दूर करने के लिए सबसे अच्छा है।
           बीएसएफ द्वारा बताया गया है कि एक जवान को 95 रुपये प्रतिदिन खाने का अलाउंस मिलता है और उसी में से उसके खाने की व्यवस्था की जाती है मेस जवानो के द्वारा ही चलायी जाती है और उन्ही लोगो में से एक मेस कमांडर चुना जाता है और एक जवान मेस 2 IC । आप यहाँ यह समझने की भूल न करे की मेस कमांडर या 2 IC कोई बड़े उच्च अधिकारी होते है ये जवान ही होते जो मेस का राशन वगैरह खरीदते है और मेस में रोजमर्रा के खाना बनने आदि की निगरानी करते है। आमतौर पर यह पोस्ट के कमांडिग ऑफिसर के चहेते जवान होते है और इनको उनके दिशा निर्देशो का पालन करना होता है।


            किसी भी सरकारी विभाग में सामान्यतः से रिश्वतखोरी या कमीशन का सीधा तरीका उच्चाधिकारियो द्वारा सीधी खरीद में किया जाता है। एक ही पसंद के व्यापारी को तीन कोटेशन लाने का जिम्मेदारी दी जाती है जाहिर है उसमें से सबसे कम दाम वाले कोटेशन को मान्य कर दिया जाता है पर जो सबसे कम दाम वाला कोटेशन है वह भी मार्केट रेट से कम से कम तीन गुना ज्यादा मुल्य का होता है अन्य दो कोटेशन जो निरस्त होते उसमें वस्तु का मुल्य बाजार मुल्य से चार पांच गुना तक हो सकता है। जब राशि रुपये 2 लाख से ज्यादा हो तो टेंडर निकाले जाते है टेंडर में क्रय कि जाने वाली वस्तु की स्पेसिफिकेशन और सप्लाय करने वाली कम्पनी के स्पेफिकिशेन की शर्ते ऐसी रखी जाती है जिससे अपनी पसंद की कंपनी को वरियता मिले। जैसी की अगस्टा वेस्टलेंड हेलिकॉप्टर के घोटाले के बारे में हम पढ़ रहे है। जब कभी किसी दूसरी कम्पनी का टेंडर कम दामो का निकलता है तो कुछ न कुछ कमी निकाल कर कुछ समय रुक कर फिर से टेंडर प्रक्रिया जारी की जाती है। 
            लेकिन एक और तरीका है जिसमें पैसे खाने में हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा आता है। यह तरीका है कि हितग्राही को वस्तु का मुल्य चेक दे दिया जाये या जैसे स्कूलो में स्टेशनरी ब्लेक बोर्ड आदि क्रय करने है तो सभी स्कूलो के प्राचार्य के नाम आवंटित राशि के चेक दे दिये जाते है। शर्त यह होती है कि उसी सप्लायर से सामान खरीदा जाना है जो उच्च अधिकारी द्वारा अप्रुव किया गया है। मजबूरी में वही से सामान खरीदना पड़ता है जो की वस्तु का अत्यधिक मुल्य लगाता है। अगर किसी और दुकान का बिल है तो वो मान्य नही किया जाता। इसमें ऑडिटर को बताया जाता है कि हमने चेक से संबन्धित को पेमेंट कर दिया था वस्तु की गुणवत्ता की जिम्मेदारी क्रय करने वाले अधिकारी की है। यहाँ यह बताना इसलिए जरुरी है कि बीएसएफ के संबन्धित अधिकारी पर कानूनी रुप से कभी भी कोई कार्यवाही नही की जा सकती क्योंकि प्रति जवान 2945 रुपये राशन की आवंटित राशि का पेमेंट जवान की मेस में पूरा कर दिया गया था। राशन जवानो द्वारा ही खरीदा गया उन्ही के द्वारा बनाया गया उन्ही के लोग मेस के इंचार्ज मेस कमांडर थे 2 IC थे। इसलिए पोस्ट के सीओ की इसमें कोई गलती नही है। लेकिन होता यह है कि इस राशन का अधिकांश भाग मार्केट से लिया ही नही जाता उसकी झूठी स्टोर एंट्री की जाती है एवं प्रति दिन झूठा ही स्टाक रजिस्टर से निकाला जाना बताया जाता है और यदि सप्लाय में आता है तो नजदीक के मार्केट में बेच दिया जाता है। इस बची राशि का उपयोग पोस्ट के ऐसे खर्च की पूर्ति के लिए किया जाता है जिसके लिए सरकार कोई बजट आवंटित नही करती। इसलिए इसे भ्रष्टाचार कम चतुराई ज्यादा माना जाता है।
           मैने एनसीसी बी और सी सर्टिफिकेट किया है एक आर्मी अटेचमेंट केंप भी किया है और एक बार मैं बारा पानी शिंलाग में आईटीबीपी के ट्रेनिंग सेंटर में रहा हूँ एवं वहाँ के मेस में 15 दिन तक खाना भी खाया है। मैं कहूँगा कि आईटीबीपी के ट्रेनिंग सेंटर के मेस बकायदा उनके लिए निर्धारित मीनू के हिसाब से खाना मिलता है। अटेचमेंट केंप में हमको वही खाना मिलता था जो वहाँ के जवानो को मिलता था। आमतौर पर ऐसे मेस में नानवेज अच्छा बनाया जाता है लेकिन दाल और हरी सब्जी ठीक नही मिलती तेज बहादुर लगता है वेजिटेरियन है इसिलिये पानी वाली बगैर तड़के की दाल वो बर्दाश्त नही कर पाया और झमेला खड़ा कर दिया। बीएसएफ ने अपनी अंतरिम जाँच में बताया है कि जो निर्धारित राशि 95 रुपये  जवान को प्रतिदिन के हिसाब से खाना दिया जा रहा है चूंकि हाई अल्टिट्यूड पर आर्मी से राशन सप्लाई होता है और सर्दियों में विंटर राशन मिलता है जो कि टिन बंद होता है और जो दाल विडियो में दिखायी गयी है वो टिन बंद दाल है इसलिए इसमें बीएसएफ की गलती नही है। मेरी समझ से जब मटर कीमा इतना तरी वाला बन सकता है तो दाल में थोड़े से तेल का तड़का तो लगाया ही जा सकता है टिन से तो दाल को निकाला ही था गरम भी किया ही होगा तो ये बीएसएफ की यह एस्क्यूज कुछ ठीक नही है। विडियो में दिखाया गया पराठा भी सूखा सूखा है कोई प्लेट नही कुछ बैठने की व्यवस्था नही काले और गंदी से जगह में मेस चलायी जा रही है जमीन पर बैठ कर खाना पकाया जा रहा है जब पोस्ट पक्की है तो क्या वहाँ की ऑफिसर मेस भी वैसी ही हैमेस का विडियो देख कर लग रहा था कि वहाँ कुछ व्यवस्था नही है और संबन्धित पोस्ट के कमांडिग ऑफिसर लापरवाह किस्म के इंसान है। और जम्मु काश्मीर के अधिकांश मिलिटरी पोस्ट केंप कहने को तो बड़े सतर्क है लेकिन उनकी बाउंड्री वाल टूटी हूई है, वायर फेंसिग जगह जगह से कटी फटी है पोस्ट के अंदर भी बिल्डिंगो का मेंटेनेंस नही दिखता है यह बात मैने नागरोटा कैंप की टीवी मिडिया तस्वीरो में देखी और इसलिए आंतकियो के लिए साफ्ट टारगेट है।
            तेज बहादुर एक व्यवस्था से नाराज आदमी है अपने हक के लिए बोलना व लड़ना चाहता है ऐसा वो जाहिर है पहले भी कर चुका है जिस पोस्ट पर वह आया था वहाँ 10 वे दिन ही उसने व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठा दी। अपने पहले के अनुभव से वो जानता था कि शिकायत करने से उसी के खिलाफ कार्यवाही होगी व उसे प्रताड़ित किया जाएगा। इसलिए उसने अबकी बार सोशल मिडिया का सहारा लिया। उसने वीआरएस के लिए भी अप्लाय कर रखा था और 31 जनवरी 2017 को उसका रिटायरमेंट भी है हो सकता है इसिलिए उसने हिम्मत की हो । पर जो भी कुछ है उसके विडियो में उसकी बात में सचाई है। बाद में एक बीएसएफ रिटायर्ड सबइंस्पेक्टर का विडियो और आया है सीआरपीएफ के एक जवान ने भी ऐसा ही विडियो डाला है और सरकार को यह समझना चाहिये कि आज फौज के इस कठिन अनुशासन की वजह से जवान बदइंतजामी के खिलाफ आवाज नही उठा सकता इसलिए वीआरएस के लिए अप्लाय करने वालो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

            आज के हालात में इस द्रुत गति से चलते संचार माध्यम  सोशल मिडिया के जमाने में समस्याओं को त्वरित तरीके से निपटाने की अहम जरुरत है बजाय उसको ढकाने या छिपाने के।
उम्मीद है तेज बहादुर की हिम्मत व्यर्थ नही जाएगी।




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